दुर्ग विकासखंड अंतर्गत ग्राम चिंगरी में मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद पंचायत एक्शन मोड में है।
ग्राम सरपंच पुष्पा देशमुख ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए एक नोटिस जारी किया है जिसमें घास भूमि, आबादी भूमि और अपने घर के सामने पड़े खाली जमीन पर जो कब्जा किया गया है उसको 7 दिन के भीतर स्वयं से कब्जा हटाने कहा है।
इसके बाद से अतिक्रमण धारी में हड़कंप मच गया है।
प्राप्त जानकारी अनुसार इस बाबत गांव में मुनादी भी की गई है।
गांव में चस्पा नोटिस के अनुसार अतिक्रमण किए गए भूमि को खाली नहीं करने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति के खिलाफ उच्च कार्यालय में आवेदन देकर कार्यवाही किया जाएगा।
आपको बता दें कि गांव के तालाब किनारे, सड़क के किनारे तो कहीं आबादी जमीन तो कहीं घास जमीनों पर ग्रामीणों ने जमकर कब्जा किया है जिससे ग्रामीण विकास कार्य भी बाधित है।
कई बार कब्जा हटाने प्रस्ताव, पंचों ने ही कर लिया कब्जा
इस गांव में कब्जा हटाने के लिए सरपंच पुष्पा देशमुख ने अपने पूर्व कार्यकाल में ही शुरुआत की थी, लेकिन उसके बाद से कब्जे किए जाने लगे। जिसके पास पर्याप्त धन और राजनीतिक रसूख है उन लोगों ने लिए लगातार अवैध कब्जे को बढ़ावा दिया। जिसके चलते आज गांव में खेल मैदान और सरकारी भवनों के लिए जगह नहीं बची है।
गांव में वर्तमान पंचायत बॉडी के पंचों या उनके सगे संबंधियों ने भी जमकर कब्जा किया है। कुछ लोग व्यावसायिक उपयोग भी कर रहे हैं, जिसके चलते पूर्व में भी कब्जा हटाने का प्रस्ताव किया गया लेकिन इसी के चलते ठंडा बस्ता में चला गया।
दुर्ग कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा ने इस संबंध में क्या कहा था
ग्राम अंडा में “प्रशासन तुंहर द्वार” के तहत एक शिविर लगा था जिसमें उन्होंने पंचायत स्तर पर होने वाले कब्जों को हटाने के लिए राजस्व विभाग को निर्देशित किया था। और बाकायदा उन्होंने कहा था कि गांव का सरपंच अपने ही गांव के लोगों के अतिक्रमण को कैसे हटा सकता है यह थोड़ा मुश्किल काम है पंचायत मशीन मुहैया कराएगी राजस्व विभाग अतिक्रमण हटाएगा।
लेकिन इस तरह का मामला दुर्ग विकास खंड में केवल लोक निर्माण विभाग के सड़क निर्माण में आने वाले कब्जे हटाने में ही पालन होते दिखता है लेकिन पंचायत स्तर के कब्जे को हटाने के लिए राजस्व विभाग नरम रवैया अपनाते हैं।
अतिक्रमण धारी रसूखदारों की पहुंच मंत्री तक
ग्रामीण कहते हैं कि यहां जिन लोगों ने कब्जा किया है उनकी पहुंच क्षेत्र के विधायक और प्रदेश के मंत्री ताम्रध्वज साहू तक हैं। जिनका उपयोग भी यहां के कब्जाधारी कर लेते हैं, ग्रामीणों ने मंत्री ताम्रध्वज साहू तक इसकी शिकायत की है लेकिन कागजों को भी ठंडा बस्ते में डाल दिया गया। जिसके चलते राजस्व विभाग भी कार्रवाई नहीं करता है।
यहां न्यायालय के आदेशों की भी अवहेलना हो जाती है।
बहरहाल देखना यह होगा कि पंचायत द्वारा निकाले गए आदेशों का क्या वाकई में 7 दिन के बाद उच्च कार्यालय में शिकायत की जाएगी या मामला फिर ठंडा बस्ता में चला जाएगा यह देखने वाली बात होगी।