हर साल, 10 फ़रवरी को, विश्वविख्यात अघोरपीठ ‘बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड’ में महान औघड़ पीर राजेश्वर राम बाबा उर्फ़ बुढ़ऊ बाबा के ‘महानिर्वाण दिवस’ तथा वर्तमान पीठाधीश्वर अघोराचार्य बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी के ‘अभिषेक दिवस’ और अघोर संस्थान के स्थापना दिवस के अवसर पर हज़ारों भक्तों की भीड़ जमा होती है ।
इसी कड़ी में देश भर से श्रद्दालु, भक्तजनों का ताँता अघोरपीठ में एक दिन पहले यानि गुरुवार से ही लगना शुरु हुआ था । शुक्रवार की सुबह से ही हजारों भक्त, श्रद्दालुगण आश्रम परिसर में आ गए थे । आश्रम परिसर में मौज़ूद अनेकों समाधि और वर्तमान पीठाधीश्वर जी के दर्शन हेतु सुबह से ही भक्तजन लाइन में लग गए थे । आश्रम में सुबह साफ़-सफ़ाई, आरती-पूजन के बाद दर्शन और प्रसाद ग्रहण का दौर देर शाम तक चलता रहा । लेकिन इस बार 10 फ़रवरी को अघोरपीठ में आकर्षण का केंद्र महान संत अघोरेश्वर महाप्रभु की समाधि पर उनकी मूर्ति का अनावरण रहा । निर्माण कला की अदभुत मिसाल अघोरेश्वर महाप्रभु की बेहद आकर्षक समाधि और संगमरमर की उनकी मूर्ति हज़ारों भक्तों को अभिभूत कर दी । क्रमवार कार्यक्रम के मद्देनज़र सांध्यकालीन एक वैचारिक गोष्ठी हुई, जिसमें कई प्रबुद्ध व्यक्तियों ने अघोर परंपरा से जुड़े संतों और समाज में उनके नेतृत्व की आवश्यकता पर ज़ोर दिया । गोष्ठी के बाद पीठाधीश्वर बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी महाराज का आशीर्वचन हुआ । अपने आशीर्वचन में बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी ने लोगों से राष्ट्र निर्माण में सहयोग की अपील की । हज़ारों भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए, अपने आशीर्वचन में, बाबा गौतम राम जी ने कहा कि “आप ख़ुद को सुधारें और राष्ट्र तथा समाज के निर्माण में यथासम्भव जो भी सहयोग हो सकता है, करें” । बाबा सिद्धार्थ गौतम राम ने कहा कि “अपने जीवन में सुधार लाते हुए, किसी एक व्यक्ति को भी आपने सुधार दिया तो आपका जीवन सफ़ल हो जाएगा” । पीठाधीश्वर जी के आशीर्वचन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूवात हुई जो देर रात तक चलता रहा । अघोरपीठ के 10 फ़रवरी के समस्त कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में देश के कोने कोने से आए अघोर भक्तों का सराहनीय योगदान रहा ।
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संजय सिंह
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