21वीं सदी में जब दशकों पुरानी परंपरा के तहत बैलगाड़ी पर सवार होकर दूल्हा अपनी दुल्हनियां को लेने पहुंचा, तो सभी हैरान रह गए। कांकेर जिले केभानुप्रतापपुर प्रखंड के घोड़ाबत्तर गांव का दूल्हा बैलगाड़ी पर सवार होकर बारातियों के साथ अपनी दुल्हन लेने पहुंचा। इस बारात में गांव के प्रमुख गायता, पटेल और गांव के समस्त ग्रामवासी शामिल थे। दुल्हन का घर दूल्हे के घर से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर थी। इस वजह से सभी बाराती दूल्हे के संग नाचते-गाते दुल्हन के घर पैदल ही पहुंच गए। कांकेर में भानुप्रतापपुर थाना क्षेत्र के घोड़ाबत्तर के रहने वाले विभूति भूषण लक्छु राम दुग्गा के पुत्र जयलाल दुग्गा की अनोखी शादी की पूरे इलाके में चर्चा हो रही है। बारात को देखने के लिए सड़कों पर भीड़ उमड़ पड़ी। दूल्हे के लिए बैलगाड़ी को रथ की तरह से आकर्षक तरीके से सजाया-संवारा गया था।
दूल्हा जयलाल दुग्गा बारात लेकर गांव से करीब 500 मीटर दूर स्थित गांव के गुडरा पारा घोड़ाबत्तर की बेटी संतोषी जुर्री से शादी करने पहुंचे। बैलगाड़ी के रथवान गांव के ही रामदयाल गावड़े बने। बैलगाड़ी पर सवार दूल्हे को देखने के लिए लोग उत्सुक नजर आए। दुल्हन के घर पहुंचने पर बारातियों का स्वागत पारंपरिक रीति-रिवाज से किया गया। बारात निकलने के पहले बैलगाड़ी को बांस, फूल और आकर्षक रंगों से सजाया गया था।
दूल्हा बने जयलाल ने कहा कि अपनी संस्कृति और पारंपरिक रीति-रिवाज को जीवित रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि संस्कृति ही सभी की पहचान है। उसी संस्कृति और पहचान को आज के आधुनिक युग में बनाए रखने के लिए बैलगाड़ी पर सवार होकर दुल्हन लाने से बढ़िया और कुछ नहीं। वहीं शादी के बाद दुल्हन बनी संतोषी जुर्री भी अपने दूल्हे जयलाल के साथ खुशी-खुशी बैलगाड़ी पर सवार होकर अपने ससुराल आई।बारातियों में शामिल बिमला नेताम ने कहा कि युवा अपनी संस्कृति और पारंपरिक रीति-रिवाज को बचाने के लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह काफी सराहनीय प्रयास है। ये सचमुच में बड़े गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां आधुनिक युग में शादी को लेकर तामझाम बढ़ गया है, वैसे में अपनी परंपरा को जीवित रखना आज के युवा के लिए एक अच्छा संदेश है।जब भौतिकतावादी युग मे सभी अपनी संस्कृति और परम्परा को भूलते जा रहे है, तो गोंडी संस्कृति और पारम्परिक विधि विधान से इस विवाह की सर्वत्र चर्चा हो रही है। पूरा गांव बारात देखने के लिए सड़को पर उतर गया। सभी अपनी विलुप्त होती परम्परा को देखकर काफी खुश नजर आए।