अप्राकृतिक कृत्य एवं दहेज प्रताड़ना के केस में मिली सजा को उच्च न्यायालय ने रखा बरकरार

दुर्ग,,अपने ऊपर हो रहे हैं अत्याचार के खिलाफ पीड़िता ने सुपेला थाना में मई 2016 में धारा 498A, 377, 323 और 34 के तहत अप्राकृतिक कृत्य एवं दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया था। इस केस की सुनवाई करते हुए फास्ट्रेक न्यायालय दुर्ग ने 23 दिसंबर 2023 को धारा 377, 323 भारतीय दंड संहिता के तहत नेहरू नगर भिलाई निवासी निमिष अग्रवाल को 9 वर्ष सश्रम कारावास और ₹10000 का अर्थदण्ड पिता सुनील अग्रवाल एवं मां रेखा अग्रवाल को धारा 323 के तहत 10 माह कारावास और ननद नेहा अग्रवाल को 6 माह की सजा सुनाई थी। फास्ट्रेक न्यायालय द्वारा सुनाए गए फैसले की अपील के साथ निवेश अग्रवाल के द्वारा उच्चतम न्यायालय बिलासपुर में सजा के निलंबन हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया था जिसमें सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायाधीश ने सजा निलंबन के आवदेन को निरस्त करते हुए कहा कि इस मामले में पीड़िता को एम एल सी रिपोर्ट में 6 चोट आना बताया गया है जो कि उसके पति एवं परिवार वालों द्वारा पहुंचाई गई है पीड़िता के साथ किया गया आप्राकृतिक कृत्य भी गंभीर मामला है अतः प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर सजा का निलंबन किया जाना उचित नहीं होगा। इसलिए निमिष अग्रवाल का आवेदन निरस्त किया जाता है। ज्ञात रहे की 3 वर्ष से काम की सजा होने के कारण सुनील अग्रवाल, रेखा अग्रवाल और नेहा अग्रवाल जमानत पर है। जबकि निमिष अग्रवाल अभी जेल में निरुद्ध है। P छत्तीसगढ़ उच्चतम न्यायालय द्वारा इस केस के अंतिम तर्क हेतु आगामी 2 जुलाई की तारीख तय की गई है। पीड़िता की ओर से अधिवक्ता अभिषेक सिन्हा और जगदीश यादव द्वारा पैरवी की गई थी।

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